
प्रिया तुम चली आना
थक जाए जब नैन
तुम्हारी राह तकते तकते
निश दिन
पाए न चैन मनुवा
काहू ठौर पलछिन
सूना हो आँगन
सूनी हो गालियाँ
मुरझाई हो सब
आशा की कलियाँ
तब चली आना प्रिया तुम
ओढ़ धानी चुनर
नेह दर्पण में संवर
इठलाती, बलखाती
इन नैनों के द्वार,
DHEERENDRA,"dheer"
तब चली आना प्रिया तुम
जवाब देंहटाएंओढ़ धानी चुनर
नेह दर्पण में संवर
इठलाती, बलखाती
इन नैनों के द्वार,
बहुत खूबसूरत रचना...
तब चली आना प्रिया तुम
जवाब देंहटाएंओढ़ धानी चुनर
नेह दर्पण में संवर
इठलाती, बलखाती
इन नैनों के द्वार
,वाह धीर जी आपकी इस रचना ने तो मन मोह लिया क्या कहने
सूना हो आँगन
जवाब देंहटाएंसूनी हो गालियाँ
मुरझाई हो सब
आशा की कलियाँ
तब चली आना प्रिया तुम,,,
वाह...
बहुत सुंदर.....
सादर.
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
थक जाए जब नैन....तुम्हारी राह तकते
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पंक्ति .....
सुन्दर रचना...वाह
जवाब देंहटाएंनीरज
तब चली आना प्रिया तुम
जवाब देंहटाएंओढ़ धानी चुनर
नेह दर्पण में संवर
इठलाती, बलखाती
इन नैनों के द्वार,............श्रृंगार रस में सरोबार कमाल की प्रस्तुति.............
प्रणय निवेदन की पृष्ठ भूमि प्रमुदित करती हुयी ,श्रृंगार व वियोग का विनम्र भाव सुन्दर बन पड़ा है ....सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंलिंक आपका है यहीं, मगर आपको खोजना पड़ेगा!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
बहुत सुंदर रचना..........
जवाब देंहटाएंउम्दा !!
जवाब देंहटाएंkya baat hai bahut umda ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भावमय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसूनी हो गालियाँ
में 'गालियाँ' की जगह 'गलियाँ'
हो तो और अच्छा लगेगा.
आभार.
वाह वाह.... मजा आ गया...
जवाब देंहटाएंआपके विकल, संत्रस्त एव विवश मन का मनुहार इस कविता में जान डाल दिया है ।
जवाब देंहटाएंशब्दों का चयन काफी अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका विशेष आभार । धन्यवाद ।
sachmuch man moh gyi ye kavita . bahut khoob ji !
जवाब देंहटाएंवाह .. कितना मधुर आमंत्रण है ... मज़ा आ गया ...
जवाब देंहटाएंwaah.....
जवाब देंहटाएंजो होतीं तुम
जवाब देंहटाएंइन नैनों के द्वार,
न थकते नैन
न बेचैन होता मन
चहकते आँगन औ गालियाँ
सच,तुम से ही हैं
आशा की कलियाँ
खूबसूरत रचना ...बहुत बढ़िया प्रस्तुति । हर शब्द बोल रहे हैं । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद । ।
जवाब देंहटाएंआप की सुन लिया जाए. हम भी यहे फ़रियाद करते हैं।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसूना हो आँगन
जवाब देंहटाएंसूनी हो गालियाँ
मुरझाई हो सब
आशा की कलियाँ
तब चली आना प्रिया तुम
ओढ़ धानी चुनर
नेह दर्पण में संवर
इठलाती, बलखाती.....ek asha ki kirna bankar aa jaana..man ko choo gayee ye baat to
सुन्दर भावपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र जी, आप के विचारों का सम्मान करते हुए मैनें अपनी गाई हुई रचना पोस्ट कर दी है...सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंओढ़ धानी चुनर
नेह दर्पण में संवर
इठलाती, बलखाती
इन नैनों के द्वार,भावपूर्ण