सोमवार, 18 जून 2012
न जाने क्यों,,,,,
न जाने क्यों,
जानकर भी, कि
गुजर रहा हूँ,
अनजान राहों में मै!
न जाने क्यों-
खुद से अनजान
बन जाता हूँ,मै
सोचता हूँ कि-
एक अलग
पहचान बनाऊ
इस दुनिया में मै-
मगर,जब जाता हूँ
दुनिया की उस भीड़ में
न जाने क्यों-?
खुद अपनी पहचान.
भूल जाता हूँ मै!
dheerendra,"dheer"
शुक्रवार, 1 जून 2012
प्यार हो गया है ,,,,,,
प्यार हो गया है,
देखा उनको तो खुद से एतबार खो गया है,
पहली नजर में ही उनसे प्यार हो गया है!
चुन्नी गले में लपेटे, मासूम सा चेहरा,
भोली सी चंचलता पे दिल निसार हो गया है!
तुम्हें देख कर ही जाना प्यार क्या है,
सूने दिल मे प्यार का विस्तार हो गया!
तुम्हे पता हो न हो मेरे हमदम,
तुम्हारी याद ही मेरा संसार हो गया है!
काश कह पाती मुझसे तू तेरा फैसला,
लेकिन अब तो धीर सिर्फ इन्तजार हो गया!
dheerendra,"dheer"
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