रूप तुम्हारा
प्रिय
तुम्हारा रूप
चंदा की चाँदनी सा,
अनूप!
अमावस का पर्याय बने
तुम्हारे केश
सज गई तारों की बिंदिया
आ माथे के देश!
कमल-पांखुरी से है दो नयना
लूट ले गए मन का चयना
गाल गुलाबी अधर है लाल,
देह चाँदनी ऐसी,
जैसे कामरूप का जाल!
हँसी तुम्हारी प्यारी इतनी
जैसे धूप लगे अगहन की
रूप अनूठा लगे "धीर"को
बात कहूँ मै मन की!
DHEERENDRA,"dheer"
प्रिय
तुम्हारा रूप
चंदा की चाँदनी सा,
अनूप!
अमावस का पर्याय बने
तुम्हारे केश
सज गई तारों की बिंदिया
आ माथे के देश!
कमल-पांखुरी से है दो नयना
लूट ले गए मन का चयना
गाल गुलाबी अधर है लाल,
देह चाँदनी ऐसी,
जैसे कामरूप का जाल!
हँसी तुम्हारी प्यारी इतनी
जैसे धूप लगे अगहन की
रूप अनूठा लगे "धीर"को
बात कहूँ मै मन की!
DHEERENDRA,"dheer"