गुरुवार, 8 मार्च 2012

फागुन...

- = फागुन = -

माथे पर रोली सा फागुन
रंगों की झोली सा फागुन
आँचल में बेताबी बांधें,
दुल्हिन की ओली सा फागुन,!

धानी-धानी चुनर जैसा
पनघट पर पायल स्वर जैसा,
सोंन कलश सा छलक रहा है
मदमाते से केशर जैसा,
फुलवा झरे गुलाल फाग सा
कोयल की बोली सा फागुन,!

प्यासी मछली के तन जैसा
मर्यादा की महकम जैसा,
पूजा के आले सा महका
दरवाजे तक चन्दन जैसा,
चौक पूरती है पुरवायी
आया रांगोली सा फागुन,!

पलछिन बहके तेवर जैसा
प्यारा छोटे देवर जैसा,
एक तरंग सा छाया तन पर
इन्द्र धनुष के जेवर जैसा,
भाभी लगे नवोढा चंदा
चंदा की डोली-सा फागुन,!


DHEERENDRA,"dheer"

12 टिप्‍पणियां:

  1. माथे पर रोली सा फागुन
    रंगों की झोली सा फागुन
    आँचल में बेताबी बांधें,
    दुल्हिन की ओली सा फागुन,!

    बहुत सही लिखा है आपने, बहुत ही उम्दा प्रस्तुती

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  2. आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आशा है आप इसी तरह मुझ पर सदा स्नेह बनाए रखेगें।
    !!आपका स्वागत है पर भी आयें
    AAJ KA AGRA

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  3. बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां धीरेंद्र जी
    होली की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं आपको

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  4. बहुत ही उम्दा प्रस्तुती| रंगोत्सव की शुभकामनायें स्वीकार करें|

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  5. इक और
    सुन्दर
    होली की प्रस्तुति ||

    बधाइयाँ --

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  6. फागुन तो ऐसा है जो जैसा मान ले ...
    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है ...

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  7. आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स वीकली मीट (३४) में शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह मेहनत और लगन से हिंदी की सेवा करते रहें यही कामना है /आभार /लिंक है
    http://hbfint.blogspot.in/2012/03/34-brain-food.html

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