रूप तुम्हारा
प्रिय
तुम्हारा रूप
चंदा की चाँदनी सा,
अनूप!
अमावस का पर्याय बने
तुम्हारे केश
सज गई तारों की बिंदिया
आ माथे के देश!
कमल-पांखुरी से है दो नयना
लूट ले गए मन का चयना
गाल गुलाबी अधर है लाल,
देह चाँदनी ऐसी,
जैसे कामरूप का जाल!
हँसी तुम्हारी प्यारी इतनी
जैसे धूप लगे अगहन की
रूप अनूठा लगे "धीर"को
बात कहूँ मै मन की!
DHEERENDRA,"dheer"
प्रिय
तुम्हारा रूप
चंदा की चाँदनी सा,
अनूप!
अमावस का पर्याय बने
तुम्हारे केश
सज गई तारों की बिंदिया
आ माथे के देश!
कमल-पांखुरी से है दो नयना
लूट ले गए मन का चयना
गाल गुलाबी अधर है लाल,
देह चाँदनी ऐसी,
जैसे कामरूप का जाल!
हँसी तुम्हारी प्यारी इतनी
जैसे धूप लगे अगहन की
रूप अनूठा लगे "धीर"को
बात कहूँ मै मन की!
DHEERENDRA,"dheer"
sundar rachna hae.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 09-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
सुंदरता का अद्भुत व सुंदर चित्रण करती अति सुंदर कविता ।
जवाब देंहटाएंकमल-पांखुरी से है दो नयना
जवाब देंहटाएंलूट ले गए मन का चयना.....वाह वाह.. जय हो....
खूबसूरती का सुन्दर चित्रण...
जवाब देंहटाएं'हँसी तुम्हारी प्यारी इतनी
जवाब देंहटाएंजैसे धूप लगे अगहन की....
सौन्दर्य रस में डूबी बहुत खुबसूरत रचना.
सुन्दर प्रस्तुती .
आभार
बहुत सुन्दर पढकर अच्छा लगा !
जवाब देंहटाएंLearnings: पथ मेरा आलोकित कर दो !
वाह वाह.................
जवाब देंहटाएंसुंदरता का सुंदर वर्णन धीरेन्द्र जी.....
सादर.
kya baat hai dheer jii..
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna...
अक्षरों के बीज डाले, शब्दों की फसल बोई
जवाब देंहटाएंहमने रबी के मौसम में, भावों की फसल बोई.
वाह !!!!!!!!!! अनुपम श्रृंगार.......
"कमल-पांखुरी से है दो नयना
जवाब देंहटाएंलूट ले गए मन का चयना"
अगर भाभी जी है तो ..................... !
न तो ................................ ?
अभी कुछ दिनों पहले ही आपकी शादी-सालगिरह थी........... !!
waah sundar shabd jal.....
जवाब देंहटाएंश्रृंगार रस में डूबी हुई कविता में सौंदर्य का बखूबी चित्रण किया है
जवाब देंहटाएंआपके मन की बात हम तक तो पहुंची, ... उन तक ... ... ?
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है...सुंदर रचना|
जवाब देंहटाएंकमल-पांखुरी से है दो नयना
जवाब देंहटाएंलूट ले गए मन का चयना
vaah kya baat hai......
बहुत सुन्दर उपमाओं से सजी रूप की सुंदरता!...एक एक पंक्ति में सुंदरता रची बसी है!....बहुत सुन्दर रचना....आभार!
जवाब देंहटाएंअरे वाह: खुबसूरती का खुबसूरत चित्रण...बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंकमल-पांखुरी से है दो नयना
जवाब देंहटाएंलूट ले गए मन का चयना
गाल गुलाबी अधर है लाल,
देह चाँदनी ऐसी,
जैसे कामरूप का जाल!
सुंदर चित्रण.
आभार.
वाह ...बहुत ही बढिया।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंहँसी तुम्हारी प्यारी इतनी
जवाब देंहटाएंजैसे धूप लगे अगहन की
क्या बात है ....शुभकामनायें !
प्राकृतिक बिम्बों से सजी अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंसुन्दर, ख़ूबसूरत भावाभिव्यक्ति .
हटाएंवाह क्या बात है!!!
जवाब देंहटाएंखूबसूरती का सुन्दर चित्रण...आभार.
जवाब देंहटाएंधीर जी आप कभी कभी बहुत कुछ याद दिला देते हो...
जवाब देंहटाएंहा हा हा..........
बहुत खूब। यह ब्लॉग मेरी पसंद का है। वाह!
जवाब देंहटाएंआपने अपने मन की बात जरा धीरे' से कही.
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी.