दो क्षणिकाऐ,
कर्म-रहस्य,
यश
कर्म की प्रेरणा है,
उपलब्धि नही!
फल
कर्म की संगति है
परिधि नही
प्रेम
कर्म की साधना है,
नियति नही!
प्रमाण,
संयम का कष्ट
कितनी संतुष्टि देता है?
और
संतुष्टि का संयम
कितना कष्ट देता हैं?
क्या
कष्ट की भी संतुष्टि होती है
हां
मेरा जीवन
इसका प्रमाण है!
DHEERENDRA"dheer"
कर्म-रहस्य,
यश
कर्म की प्रेरणा है,
उपलब्धि नही!
फल
कर्म की संगति है
परिधि नही
प्रेम
कर्म की साधना है,
नियति नही!
प्रमाण,
संयम का कष्ट
कितनी संतुष्टि देता है?
और
संतुष्टि का संयम
कितना कष्ट देता हैं?
क्या
कष्ट की भी संतुष्टि होती है
हां
मेरा जीवन
इसका प्रमाण है!
DHEERENDRA"dheer"
बहुत संवेदनशील रचना,बहुत ही सुंदरप्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है!!!
जवाब देंहटाएंatisamvedan sheel post hae aapne bahut hi shandar likha hae.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोनों रचनाएँ !
जवाब देंहटाएंवह! वाह!---सुन्दर तत्व-दर्शन...बधाई धीरेन्द्र जी...
जवाब देंहटाएं---और
धीर ( धैर्य) ही.....यश है,
कर्म-फ़ल है,
सन्तुष्टि-संयम है...
जीवन की परिधि व -
नियति-नियामक है....।
दोनों क्षणिकाएं जीवन दर्शन से भरी हैं...
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक भाव... शुभकामनाएं
कमाल की ज्ञानपूर्ण प्रस्तुति है आपकी.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार जी.
महावीर जयंती और हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ.
अद्भुत प्रभावशाली विचार ।
जवाब देंहटाएंप्रेम
कर्म की साधना है,
नियति नही!
बधाई।
वाह..बेहद सार्थक क्षणिकाएं..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदरप्रस्तुति
जवाब देंहटाएंटिप्स हिंदी में
wah......behad khoobsurti se likha hai.....
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder bhav
जवाब देंहटाएंbadhai
rachana
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंachchhi prastuti
जवाब देंहटाएंbahut khub..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhav
जवाब देंहटाएंआप्त वचन सी है ये विचार कणिकाएं .
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंवाह कमाल की प्रस्तुति!!!!!
जवाब देंहटाएंफल
जवाब देंहटाएंकर्म की संगति है
परिधि नही
प्रेम
कर्म की साधना है,
नियति नही!....
गहन चिन्तन कि उपज हैं ये शब्द....बेजोड़
abhi rachnaayen padhi bahut acchee hain ...
जवाब देंहटाएंसार्थक क्षणिकाएं..
जवाब देंहटाएं