जिन्दगीं में हमेशा नए लोग मिलेगें कहीं ज्यादा तो कहीं कम मिलेगें, एतबार सोच समझ कर करना मुमकिन नहीं हर जगह तुम्हें हम मिलेगें, ------------------- dheerendra,
जिन्दगीं में हमेशा नए लोग मिलेगें कहीं ज्यादा तो कहीं कम मिलेगें, एतबार सोच समझ कर करना मुमकिन नहीं हर जगह तुम्हें हम मिलेगें, क्या बात है धीरेन्द्र जी.
bahot achche.....
जवाब देंहटाएंsundar anubhooti bdhai.........
जवाब देंहटाएंsunder rachna..........
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है..... बहुत खूबसूरत.....
जवाब देंहटाएंनेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)
बहुत ही भाव प्रवण कविता । मन को आंदोलित कर गयी । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंsir
जवाब देंहटाएंbahut hi sarthak panktiyan jo
sach ko ingit karti hain----
poonam
वाह, जरूरी नही हर वक्त तुम्हें हम मिलेंगे । क्या बात है ।
जवाब देंहटाएंजिन्दगीं में हमेशा नए लोग मिलेगें
जवाब देंहटाएंकहीं ज्यादा तो कहीं कम मिलेगें,
एतबार सोच समझ कर करना
मुमकिन नहीं हर जगह तुम्हें हम मिलेगें,
क्या बात है धीरेन्द्र जी.