हुस्न की बात,
तुमको देखा है जब से आँखों ने
और कोई चेहरा नजर नहीं आता
तुम हर नजर का ख़्वाब हो,
हर दिल की धडकन हो
कैसे तारीफ करता तुम्हारे हुस्न की
तुम्हारा चेहरा तो किताबी है,
कहाँ से आया इतना हुस्न....
जबाब में वे मुस्करा दिए और बोले-?
कुछ तो आपकी मोहब्बत का नूर है
कुछ कोशिश हमारी है
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DHEERENDRA,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,
जवाब देंहटाएंबधाई
बसन्त के मौसम में बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपने!
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
सादर.
sunder abhivyakti ...
जवाब देंहटाएंये नूर और ये कोशिश दोनों बनी रहे.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ,
जवाब देंहटाएंबधाई
प्रदर्शित चित्र से भी अधिक सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..........
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 27-02-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
आपने अपनी प्रस्तुति को बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है । सदा सृजनरत रहें ।मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसुन्दरता को सुन्दर संजोया है..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
महब्बत का नूर अक्सर दूर से चमकता दमकता है ...
जवाब देंहटाएंबाखूबी लिखा है ...
प्यार की इबारत है,तरुनाई का एहसास है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...:-)
जवाब देंहटाएंकुछ तो है आपकी मोहब्बत का नूर....सही तो है ..सुंदरता देखने वालों की आँखों में होती है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संवेदनशील भाव समेटेैं ,बहुत ही अच्छा लिखा है!
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग पर आकार मेरे भतीजे दक्ष को जन्मदिन पर शुभकामनाएं और बधाई दी उसके लिए आभारी हूं
जवाब देंहटाएं"AAJ KA AGRA BLOG"